घुमंतु जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने विमुक्त, घुमंतु और अर्ध-घुमंतु जनजातियों (एनसीडीएनटी) के लिए जनवरी, 2015 में एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया है। अर्ध-घुमंतु जनजातियों (डीएनटी) के कुछ एक ऐसे समूह भी है जिन्हें अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों की सूचियों के तहत कवर नहीं किया गया है, ऐसे लोगों के लिए सरकार ने दो योजनाएं नामतः (i) डॉ. अम्बेडकर मैट्रिक पूर्व केंद्र प्रायोजित योजना और विमुक्त, घुमंतु और अर्ध-घुमंतु जनजातियों (डीएनटी) के व्यक्तियों हेतु मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना और (ii) वर्तमान वित्तीय वर्ष में विमुक्त, घुमंतु और अर्ध-घुमंतु जनजातियों के लिए छात्रावासों के निर्माण की केंद्र प्रायोजित योजना। इन योजनाओं के तहत महाराष्ट्र तथा कर्नाटक राज्य सरकार को निधियां जारी कर दी गई हैं। 
आयोग के विचारणीय विषय इस प्रकार हैः
- विमुक्त और अर्ध-घुमंतु जनजातियों से संबंधित जातियों की राज्यवार सूची तैयार करना। 
- अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा केन्द्रीय सूची/अन्य पिछड़ा वर्गों की राज्य सूची में विमुक्त और घुमंतु जनजातियों की पहचान करना। 
-  विमुक्त और घुमंतु जनजातियों से संबंधित उन जातियों की पहचान करना जिन्हें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में शामिल नहीं किया गया तथा इन्हें इन सूचियों में इस प्रयोजनार्थ निर्धारित तौर-तरीकों पर निर्भर करते हुए इनमें शामिल करने के लिए कार्रवाई करना। 
- ऐसे स्थानों की पहचान करना जहां विमुक्त, घुमंतु जनजातियों की घनी आबादी हो। 
- केंद्र तथा राज्यों के तहत विमुक्त और घुमंतु जनजातियों के विकास के संबंध में प्रगति का मूल्यांकन करना। 
- विमुक्त, घुमंतु और अर्ध-घुमंतु जनजातियों के संबंध में केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा किए जाने वाले उपयुक्त उपायों के बारे में सुझाव देना। 
- कोई अन्य संबद्ध कार्य जो सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सौंपा जाए। 

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